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Monday, August 15, 2011

किनारे

दूर तक फैला सागर हैं  
मन में बसी जिसकी गहराई हैं

किनारा तो कही ओझल हैं 
मन में उठी हलचल हैं

 यहाँ न तू हैं,न कोई और हैं!
 बस मैं और  मेरी नाव हैं
सागर में  बह चला  मेरा मन हैं


यहाँ न तू हैं,न कोई और हैं!
 मैं हूँ  और ये लहरें हैं   
लहरें आती  गई जाती गई
हर बार मुझे वो अपना साथी बनती गई
किनारे से जब जब वो मुझे ले जाती
अपनी कोई  दास्ताँ सुनाती 
और फिर किनारे पर छोड़ जाती


यहाँ न तू हैं,न कोई और हैं!
एक किनारा हैं,सूना पड़ा हैं
रेत हैं,सूखी पड़ी हैं
किसी के कदमो का निशाँ तक नहीं हैं!

यहाँ न तू हैं,न कोई और हैं!
 एक आसमा हैं सूना पड़ा हैं 
आदी हैं-अनंत हैं, बादलो से  घिरा हैं
जैसे कोई चितेरा रंग कर गया हो!

यहाँ न तू हैं,न कोई और हैं!
 एक समंदर हैं, सूना पड़ा हैं
शांत हैं, निरंतर बहती लहरें हैं
कोई और इसमें नाव नहीं हैं 

इंतज़ार हैं तो बस....कुछ कदमो के निशानों का.....किसी चितेरे का....किसी और नाव का!!!!!!!

3 comments:

  1. http://answeringyou.blogspot.in/2013/05/blog-post.html

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  2. http://answeringyou.blogspot.in/2011/02/blog-post.html
    http://answeringyou.blogspot.in/2011/07/blog-post_10.html
    http://answeringyou.blogspot.in/2011/07/blog-post_03.html

    Save Hindu Save Hindusthan
    https://www.youtube.com/watch?v=WQzjlVZ7YNc

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  3. Please We Aware of Love Jihad..............Before Take Any Big Step in your Beautiful Life... Think 100 Times yourself & your Family...pankaj Bhatia pnkaj7869@gmail.com

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