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Thursday, December 15, 2011

हसरतें .....

हसरतें ....हसरतें ....हसरतें ....
ज़िन्दगी ने पाल राखी हैं कितनी हसरतें ....


रिमझिम-सी बारिशों में 
बूंदों-सी हसरतें....
कभी तपते कोयले पर
लोहे-सी तड़पती हसरतें !


बादल भरे आसमान पर 
बिजली-सी चमकती हसरतें...
कभी तेल भरे दीये में 
लौ-सी जलती हसरतें !


वीरान पड़े बागीचे में 
कलि-सी खिलती हसरतें....
कभी टूटते कांच-सी 
टूटती बिखरती हसरतें !


सूरज की किरणों से
आस बन चमकती हसरतें...
कभी पतझड़ में टहनियों  से 
पत्तियों-सी झडती हसरतें !


छोटे किसी बच्चे जैसी 
रोती-मुस्कुराती मेरी हसरतें !

ज़िन्दगी से  पाल राखी हैं मैंने कितनी हसरतें ....