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Monday, August 13, 2012

मुम्बई....

सूरज को देखे बिना
रात के चाँद को ताके बिना
सडको पर अंधाधुन्द भागता शहर !

कभी जुहू की रेत पर
कभी गेट-वे  पर
सुकून की साँसे लेता शहर !

लोकल की पटरियों पर
हाई-वे के फलायोवर पर
बेचैन-परेशान शहर !

अरमानो का पुलिंदा लिए
बेस्ट की कतारों में
पसीने पोछता शहर!

थकना मांदना भूलकर
सपनो की रिक्शा के लिए
चिल्लाता शहर !

थोड़े से आराम को
अपनी एक पहचान को
तरसता शहर !

मुम्बईकरो की मुम्बईगिरी से बना
कलाकारों की हस्ती से सजा
कुछ-कुछ ऐसा ही हैं ये शहर!

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