Welcome!

Tuesday, October 29, 2013

चेहरा

किसी घूँघट के पीछे कोई चेहरा
किन्हीं आँखों पर काजल का पहरा
ट्रेन की खिड़की पर हवा खाता कोई चेहरा 
अपने दाम को तरसता हर चेहरा!

किसी पर छपी गहरी वक़्त कि लकीरें
किसी पर चमकती शौंख जवानी
हर चेहरा कुछ कहता हैं
अलग-अलग भाव में बिकता हैं !

हर चेहरे के पीछे छुपा कोई और चेहरा
हर चेहरे पर सजा... जज़बातों का सहरा
चेहरो कि तो बड़ी भीड़ हैं यहाँ
.... अपना समझने वालो का बड़ा मोल हैं यहाँ !

कोई चौराहे पर सजता है… रातों में बिकता हैं
कोई ठेठ बना रहता हैं
इस ज़िन्दगी के बाज़ार में
हर चेहरा अपनी कीमत ..  अपनी पहचान आईने में तकता हैं !!!!