भीड़ की आदत हो गयी
की अब तन्हाई याद नहीं
सच्ची झूठीं मुस्कानों की आदत हो गयी
की अब अश्क तक याद नहीं
भागने की आदत हो गयी
की अब चलना याद नहीं
सख्त अंधेरो की आदत हो गयी
की अब शाम की रंगीनियत याद नहीं
काम की इतनी आदत हो गयी
की अब बेमतलब सी कोई बात याद नहीं
रातों को जागने की इतनी आदत हो गयी
की अब कोई सपना याद नहीं
ज़िन्दगी में इतनी नयी आदतें हो गयी
की अब पिछली कोई याद… याद नहीं
की अब तन्हाई याद नहीं
सच्ची झूठीं मुस्कानों की आदत हो गयी
की अब अश्क तक याद नहीं
भागने की आदत हो गयी
की अब चलना याद नहीं
सख्त अंधेरो की आदत हो गयी
की अब शाम की रंगीनियत याद नहीं
काम की इतनी आदत हो गयी
की अब बेमतलब सी कोई बात याद नहीं
रातों को जागने की इतनी आदत हो गयी
की अब कोई सपना याद नहीं
ज़िन्दगी में इतनी नयी आदतें हो गयी
की अब पिछली कोई याद… याद नहीं
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