सूरज को देखे बिना
रात के चाँद को ताके बिना
सडको पर अंधाधुन्द भागता शहर !
कभी जुहू की रेत पर
कभी गेट-वे पर
सुकून की साँसे लेता शहर !
लोकल की पटरियों पर
हाई-वे के फलायोवर पर
बेचैन-परेशान शहर !
अरमानो का पुलिंदा लिए
बेस्ट की कतारों में
पसीने पोछता शहर!
थकना मांदना भूलकर
सपनो की रिक्शा के लिए
चिल्लाता शहर !
थोड़े से आराम को
अपनी एक पहचान को
तरसता शहर !
मुम्बईकरो की मुम्बईगिरी से बना
कलाकारों की हस्ती से सजा
कुछ-कुछ ऐसा ही हैं ये शहर!
रात के चाँद को ताके बिना
सडको पर अंधाधुन्द भागता शहर !
कभी जुहू की रेत पर
कभी गेट-वे पर
सुकून की साँसे लेता शहर !
लोकल की पटरियों पर
हाई-वे के फलायोवर पर
बेचैन-परेशान शहर !
अरमानो का पुलिंदा लिए
बेस्ट की कतारों में
पसीने पोछता शहर!
थकना मांदना भूलकर
सपनो की रिक्शा के लिए
चिल्लाता शहर !
थोड़े से आराम को
अपनी एक पहचान को
तरसता शहर !
मुम्बईकरो की मुम्बईगिरी से बना
कलाकारों की हस्ती से सजा
कुछ-कुछ ऐसा ही हैं ये शहर!